प्रशादी शब्द का इस्तेमाल तब किया जाता जब किसी वस्तु, आभूषण या वस्त्र आदि को ठाकुर जी के चरणों से या उनके मंदिर की देहरी से स्पर्श करवाया गया हो। कुछ इसी तरह हम अपने संकल्प के अनुसार प्रशादी वस्तुओ को हरी के भक्तो तक पहुंचना चाहते हैं। हर एक वस्तु को ठाकुर जी के चरणों से स्पर्श करवाना तो मुमकिन नहीं इसलिए हम हर आर्डर को उनके मंदिर में लेकर जाएंगे और उनके सामने प्रस्तुत करेंगे। हर आर्डर को राधारमण लाल जी के मंदिर के देहली यानी की उस जमीन से स्पर्श करवाया जाएगा जहा वह शाम के समय स्वयं विराजमान होकर दर्शन देते हैं। आपके हर आर्डर में आपको अनुभव होगा वृन्दावन की महक का, शुद्धता का और हरी के आशीर्वाद का। चाहे तुलसी कंठी हो, जप माला, काउंटर, या फिर इतर सभी इसी प्रक्रिया से होकर गुज़रेंगे जिसमे उन्हें हरी के सामने प्रस्तुत करने के बाद ही आप तक पहुंचाया जाएगा। हम आशा करते हैं आप हमारे इस प्रयास से प्रसन्न होंगे, और ज्यादा से ज्यादा भक्तो तक इसे पहुचायेंगे।
राधे राधे